top of page
Search

भोजन सम्बन्धी हिदायतें

स्नान किये बिना,हाथ मे रत्न धारण किये बिना,फ़टे कपड़े पहने हुए,सन्ध्या वंदन किये बिना,देवताओं को भोग दिए बिना,माता पिता आदि को भोजन कराए बिना,गुरु अतिथि तथा आश्रितों को जिमाये बिना भोजन नहीं करें। भोजन से पहले हाथ पांव और मुंह

धोएं,उत्तर की ओर मुख करके,तथा मन लगा कर शांत चित्त से भोजन करें।

ऐसा भोजन ना करें जो अभक्त,अपवित्र,और भूखे सेवकों के पकाया हुआ या परोसा हुआ हो।गन्दे बर्तनों में,गन्दे स्थान पर,अकाल में,भीड़ भाड़ में भोजन नहीं करें।पहला ग्रास अग्नि में डालकर भोजन करें।मन्त्रों से पवित्र किये बिना,दूसरों की निंदा करते हुए,शत्रुओं के दिये हुए और शरीर मे दोष उत्तपन्न करने वाले अन्न को नहीं खाएं।


भोजन के बारे मे आत्रेय ऋषि ने जो विधि निषेद बताए हैं,उनका वैज्ञानिक तथा मनोवैज्ञानिक महत्व है।


दीपाली अग्रवाल

सुजोक थेरेपिस्ट, नेचुरोपैथ

9694391828


 
 
 

Comments


bottom of page