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जल स्नान


आज बात करेंगे जलस्नान के बारे मे

यूं तो जल स्नान हम रोज ही करते हैं लेकिन नेचुरोपैथी मैं जल स्नान का तरीका कुछ लोग ही जानते हैं।

नहाने वाले पानी का तापमान कमरे के तापमान से थोड़ा ठंडा होना चाहिए।।

जिस तापमान के पानी से नहा रहे हैं उस पानी को पहले मुँह मैं भर लें और नहाते वक्त उसे मुँह में ही भरा रहने दें।

इससे पानी और शरीर का तापमान बराबर रहता है,जिनको मौसमी इंफेक्शन,अस्तमा या छीकें आना ऐसी बीमारी हो उनके लिए ऐसा करने से ये बीमारी खत्म हो जाती है।

गर्म पानी से स्नान नहीं करना चाहिए ,ये हमारी त्वचा के पोर्स खोल देता है जिससे त्वचा पानी एब्जोर्व करने लगती है।

नहाते वक्त पानी पहले सिर पर डालना चाहिए।

अमूमन पानी पहले पैर पर डालते हैं,ये गलत है ऐसा करने से बॉडी की हीट एकदम से सिर में जाती है।हमेशा सिर को ठंडा रखने के लिए पानी सिर पर डाला जाता है,जो लोग रोज़ सिर नहीं धोते उनको भी पहले थोड़ा पानी लेकर सिर के बीच मे डालना चाहिए।

छोटे बच्चे को नहलाते वक़्त माएँ पहले थोड़ा पानी लेकर बच्चे का सिर गीला करती हैं फिर पूरे शरीर पर पानी डालती हैं।

पानी से स्नान करने से थकान दूर होती है,ताज़गी आती है,बीमारियां दूर होती हैं।


दीपाली अग्रवाल

सुजोक थेरेपिस्ट, नैचुरोपैथ

9887149904

 
 
 

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